कोरोना एक वायरस

जब - जब आने वाले दिनों साल 2020 की बात की  जाएगी  तब -तब इतिहास के पन्नों  में चीन से फैले कोरोना वायरस का भी जिक्र होगा , एक वायरस जिसने   पूरी दुनिया एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा दिया की बड़े -बड़े ताकत वर देशों को भी इसके आगे अपने घुटने टेकने पड़े , चीन जिसके पास हर समस्या का समाधान करने के लिए कोई न कोई गैजेट होता है वो भी कुछ दिनों पहले तक इस बीमारी के आगे बेबस  नज़र आ रहा था, पर अब चीन में हालत कुछ सुधरने लगी  है लॉक डाउन खुलने की कगार पर आ गया है लेकिन अभी भी चीन में समुद्री फ़ूड खुलेआम बिक रहे है ,अगर चीन में संक्रमित मरीजों की संख्या की बात की जाए तो चीन में संक्रमित मरीजों की संख्या 81,554 है और इस वायरस से मरने वालों की संख्या 3,312 और जिसमें से 76,238 मरीज ऐसे है जो ठीक होकर अपने घर जा चुके है यानि एक्टिव केस चीन में इस वक्त  मात्र 2,004 केस है जो इस बात की गवाही देने के लिए काफी है की चीन अब धीमे धीमे  इस वायरस से निजात पा रहा है।  ऐसे में ये  सवाल उठना लाज़मी है की क्या चीन कोरोना से हुई मौतों की असल संख्या छुपा रहा है? क्या वहां दो करोड़ से ज़्यादा लोग मरे हैं? क्या चीन के ही जारी किए गए आंकड़ों ने उसकी पोल खोल दी है? आज इस लेख में आप को इन्ही सब सवालों के जवाब देने की कोशिश करुंगा,  ये सवाल उठना इस लिए भी जरुरी है क्योकि एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते तीन महीनों में चीन के ‘दो करोड़ दस लाख’ सिम कार्ड गायब हो गए. इनके अलावा, करीब ‘8 लाख 40 हज़ार’ लैंडलाइन भी बंद हो गए। अगर इस रिपोर्ट के स्रोत की बात की जाये तो ये रिपोर्ट दी है चीन के  मोबाइल नेटवर्क देने वाली कंपनी वायरलेस कैरियर ने, जो मन को असल हकीकत तलाशने के लिए के लिए मजबूर करती है।  चीन में मोबाइल सर्विस देने वाली मुख्यता तीन कंपनियां है पहली, चाइना मोबाइल लिमिटेड. दूसरी, चाइना यूनिकॉम हॉन्ग कॉन्ग लिमिटेड. तीसरी, चाइना टेलिकॉम कॉर्प लिमिटेड. इनमें पहले वाली- चाइना मोबाइल लिमिटेड इस कैटगरी में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बताई जाती है और साल 2000 से ये कंपनी अपने मासिक आकड़े जारी करती है और इस साल भी कंपनी ने कुछ ऐसा ही किया कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, जनवरी-फरवरी में इसके मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या 80 लाख से ज़्यादा घटी. जनवरी-फरवरी में ही ‘चाइना यूनिकॉम हॉन्ग कॉन्ग लिमिटेड’ के करीब 78 लाख ग्राहक कम हुए.







‘चाइना टेलिकॉम कॉर्पोरेशन’ के अकेले फरवरी में ही 56 लाख ग्राहक चले गए जो इस बात को सोचने के लिए मजबूर करता है की क्या चीन में कोरोना से मरने वालो की संख्या 2 करोड़ से अधिक है तो इसके संदर्भ   तमाम अविश्वासों और सवालों के बीच सिम कार्ड गायब होने के पीछे कुछ और व्याख्याएं भी हैं. मसलन, 23 मार्च को आई ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट. के मुताबिक, मोबाइल ग्राहकों में आई कमी कोरोना के कारण इकॉनमी को हुआ नुकसान दिखाता है रिपोर्ट में आगे बताया गया है की  इन उपभोक्ताओं का एक बड़ा हिस्सा तो शायद दूसरी जगहों से आकर काम करने वाले लोगों का रहा हो. जिनके पास अक्सर दो नंबर होते हैं. एक, जहां के वो मूल निवासी होते हैं. और दूसरा, जहां वो काम करते हैं. कोरोना के कारण काम-काज ठप्प हो गया. कारखानें, दफ़्तर, निर्माण कार्य रुक गए. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग अपने शहरों से गांवों को लौट गए ठीक वैसे ही जैसे अपने भारत में हो रहा है,  कई लोग ऐसे भी है  जो नए साल की छुट्टी में घर गए, वो काम पर नहीं लौट सके. काम की अनिश्चितता के बीच उन्होंने शायद अपना दूसरा नंबर बंद कर दिया हो. ये रिपोर्ट कहती है कि कारखाने और बाकी काम-काज फिर सामान्य होने लगे, तो शायद चीजें सुधरें और हमारे पास असल आकड़े आ सके। बेसक चीन की  आकड़को  छुपाने की आदत को नई नहीं पर  21 मिलियन बहुत बड़ी संख्या है. इतने लोग मारे गए, ये आशंका सही नहीं लगती पर 3000 वाले आकड़े पर भी शक पैदा होता है। अब असल हकीकत क्या है ये सिर्फ चीन ही जनता है पर इतना जरूर है की 21 मिलियन लोगों की मरने की खबर सिर्फ और सिर्फ एक अफवाह है।

Kaushlendra shukla
BAMC-ii

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