व्यवसायिक और राजनीतिक दरियादिली

"सुनी सड़के है , सुनी गालियां है और जेब भी सुना है

पेट कहा से पालू साहब यहा तो दाने दाने का रोना है "


उपयुक्त पंक्तियां सिर्फ पंक्तियां नहीं बल्कि भारत के करोड़ों गरीब लोगो की मौजूदा स्थिति है।
जब भारत का गरीब व आम वर्ग पहले बंद के कारण हुए नुकसान का भरपाई  कर ही रहा था तभी अचानक से दूसरे भारत बंद ने उन सबकी कमर तोड़ दी ।

आज भारत एक ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से गुजर रहा है जहा लोग एक बीमारी के कारण अपना पेट काट के जीने पे मजबूर हो रहे है , कोई अपने कर्मभूमि से पलायन कर रहा है तो कोई अपने जान को जोखिम में डालकर परिवार का पेट किसी तरह पाल रहा है ।

यह देश की खुशकिस्मती है कि ऐसे स्थिति में भारत का एक प्रतिष्ठित तथा प्रसिद्ध वर्ग गरीब लोगो के मदद के लिए अपना योगदान पूरे मन से दे रहा है,
सोनू सूद से लेके विराट कोहली तक इन सभी जाने माने हस्तियों ने भारत की जनता को आर्थिक तथा नैतिक रूप से संभालने में मदद किया है।

इन सब कार्यों के वाबजूद भी सबको पता है कि बिना सरकार के मदद  किए, हर वर्ग के जनता तक मदद पहुंचना लगभग असंभव है ।

जहा रिलायंस और टाटा जैसे बड़े उद्योग संगठनो ने सरकार को एक बहुत ही बड़ी मात्रा में धन राशि दान कर मदद कि है वहीं दूसरे तरफ अपने कर्मचारियों को भी बंद के दौरान राहत देने की घोषणा की है, इस घोषणा के अन्तर्गत बंद के दौरान भी सभी कर्मचरियों को उनका मेहताना मिलता रहेगा वहीं श्री रतन टाटा ने यह घोषणा करते हुए ये कहा है कि टाटा से जुड़े जीन कर्मचारियों कि मौत कोरोणा वायरस के कारण हुई है उनको मरणोपरांत उनके सेवानिृत्त होने तक लगातार वेतन मिलता रहेगा।

बेशक व्यवसाय और व्यपार के छेत्र से जुड़े लोगो की ऐसी दरियादिली ने , सरकार को भी लोगो के प्रति और जिम्मेदार बनने को प्रेरित किया है, शायद इसी कारण प्रधानमंत्री ने निर्णय लिया है कि अब पूरे भारत वर्ष में टीकाकरण की जिम्मेवारी केंद्र की रहेगी, इसके अन्तर्गत सभी १८ वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण मुफ्त में किया जाएगा, वहीं प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान ये भी कहा है कि इस संकट की घड़ी में भारत के सारे गरीब लोगो को मुफ्त में अनाज मिलेगा ।

ऐसी स्थिति में इस तरह के प्रयास भारतीय लोगो के मन में सरकार और व्यवसाय के छेत्र से जुड़े लोगो के प्रति एक भरोसा जगाती है।

इन सब चीजों में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इन सभी कार्यों को एहसान या मदद के जगह एक कर्तव्य या फ़र्ज़ के रूप में देखना चाहिए क्योंकि इंसानियत और मानवता को बनाए रखने के लिए ये बेहद जरूरी है।








Parth Singh
BJMC-2 Sem
Himcom

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