श्री विष्णु जब देवशयनी पर पाताल लोक जाते हैं, तब पृथ्वी का संचालन कौन करता हैं ?
मंगलवार को देवशयनी एकादशी थी। आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक यानि 4 महीने श्री हरी विष्णु पाताल लोक में विश्राम करते है।
अब सवाल उठता है की जब श्री विष्णु विश्राम करते है, तब पृथ्वी का भार कौन संभालता है। आज इस ब्लॉग से हम सभी तथ्य जानेंगे।
क्या है देवशयनी एकादशी?
आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकदशी कहते हैं। पद्मा पुराण के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानि देवशयनी एकादशी के दिन श्री हरी विष्णु विश्राम करने जाते है और देवउठनी एकादशी तक वही विश्राम करते है। विश्राम पर जाने के समय को देवशयनी और विश्राम पूर्ण होने पर जब वो जागते है उस दिन को देवउठनी एकादशी नामसे जाना जाता है।
आखिर क्यों जाते हैं श्री हरि विष्णु पाताल लोक ?
भागवत पुराण के 10वे खंड के 56वे अध्याय के उल्लेख के अनुसार एक बार श्री हरी विष्णु शंखचूड़ नामक असुर के साथ युद्ध लम्बे अंतराल तक चलता रहा। युद्ध में विजयी होने के बाद भगवान बहुत थक गए थे। देवताओ ने आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन प्रभु की पूजा करने के बाद उनसे विनती की कि अब वह कुछ समय विश्राम करे। देवताओं की विनती पर प्रभु चार पहर के लिए विश्राम करने चले गए जो पृथ्वी लोक के अनुसार चार माह के बराबर थे।
पद्म पुराण के उत्तर खंड (दूसरे खंड) के अध्याय 111 -112 जब प्रभु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि दान मांगी थी तब पहले पग में भगवान ने पूरा पृथ्वी लोक, दूसरे पग में आकाश ले लिया, तब राजा बलि ने प्रभु को तीसरा पग अपने सर पर रखने को कहा जिससे राजा बलि पाताल लोक में चले गए। उनके भाव से प्रसन्न होकर श्री हरी विष्णु ने राजा बलि को वरदान मांगने को कहा। राजा बलि तब प्रभु से कहते है की यदि आप मुझसे प्रसन्न है तो आप भी मेरे साथ पाताल में निवास करे। प्रभु के पाताल जाने पर देवी लक्ष्मी बहुत परेशान हो जाती है, तब वो पाताल लोक जाकर राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर प्रभु को वापिस अपने साथ लेजाती है। तब भगवन विष्णु बलि को वरदान देते है की वो हर आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक पाताल में निवास करेंगे।
श्री विष्णु के विश्राम तक कौन पृथ्वी का कार्यभार संभालता है ?
श्री हरि विष्णु की अनुपस्थिति में ये कार्यभार सप्तगुरु, भगवान शिव, आदि को दिया गया। चार दिन तक सप्तगुरु गुरु पूर्णिमा तक पृथ्वी का संचालन करते है, उनके पश्चात् भगवान् शिव एक माह (श्रावण) तक संचालन करते है। उनके बाद 19 दिन तक भाद्रपद के श्री कृष्ण संचालन करते है। फ़िर आती है गणेश चतुर्थी तो 10 दिन गणेश जी सँभालते है। 16 दिन पितृ देव और फिर नवराति है नवरात्री जिसमे मातारानी 10 दिन संचालन करती है। नवरात्री के बाद माता लक्ष्मी (दिवाली के समय) 10 दिन पृथ्वी का संचालन करती है। अंत में आखिरी के 10 दिन कुबेर जी देवउठनी एकादशी तक कार्यभार सँभालते है।
आशा है आप सभी को ये जानकारी अच्छी लगी होगी, ऐसी ही और जानकारियों केलिए पढ़ते रहे।
जय श्री हरि विष्णु।।
वसुंधरा
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