एक अनोखा तैरता डाकघर

हमारी दुनिया में बहुत सारे अजीबो गरीब चीज़ें मौजूद है | उनमें से कई प्राकृतिक है तो कई का निर्माण इंसानों द्वारा किया गया है | दुनिया में मौजूद ऐसे सारे अजीबो गरीब चीज़ो की अपनी एक अलग खासियत होती है | इनकी इन्ही खासियतों के वजह से इन्हें दुनिया में एक अलग ही पहचान मिलती है | ऐसी अजीबों गरीब चीज़ों के दीवाने इनके इसी पहचान का दीदार करने दुनिया के कोने कोने से आते है और इनकी पहचान को अपने यादों या तस्वीरों में कैद कर अपने साथ ले जाते है | दुनिया में मौजूद ऐसी कई चीज़ें या तो प्राकृतिक तौर पर कुदरती रहष्यमई होती हैं जिनके रहष्य का तोड़ विज्ञान के पास भी नहीं होता है |  ऐसे कुदरती चीज़ों को देख इंसान भी अपने मन में कल्पना कर अपने अंदर के मनोविज्ञान को जागृत करता है | इंसान भी कल्पना करता है की उसके द्वारा बनाई गयी कोई भी चीज़ ऐसे ही सदैव अनमोल रहे | कुदरत से सीखते हुए इंसान ने भी कई ऐसी चीज़ों का निर्माण किया है जो इंसानो के द्वारा बनाए जाने के बाद भी रहष्यमई नज़र आते है | इन्हीं इंसानी कारनामों का नमूना है-पिसा का टेढ़ा टावर ,ताजमहल, भगवान श्री राम के वानर सेना द्वारा समुद्र पर भारत और श्रीलंका को जोड़ता हुआ समुद्र सेतु जो अंतरिक्ष से भी दिखाई पड़ता है | इंसानों ने अपने कारनामों से कभी दुनिया में रहष्यो का जाल बिछाया है तो कभी अपने कला का प्रदर्शन कर पूरी दुनिया को रिझाया है | इंसानों के एक ऐसी ही कला का अद्भुत नमूना भारत में श्रीनगर के डल झील में तैरता हुआ नज़र आता है | क्यों चौक गए ना...... घाटी की खूबसूरती निहारने में आपने भले ही ध्यान नहीं दिया होगा लेकिन आज हम आपको श्रीनगर में तैरते इस अजूबे के बारे में बताते है | श्रीनगर के डल झील में तैरता हुआ घर जिसे हॉउसबोट्स, आपने ज़रूर देखा होगा लेकिन मैं अगर कहुँ की हमारे देश के इसी प्रदेश में डल झील में एक तैरता हुआ पोस्ट ऑफिस भी है तो क्या आप विश्वास करेंगे ! जी हाँ.....तैरता हुआ पोस्ट ऑफिस | ये पोस्ट ऑफिस भी भारत में मौजूद बाकी पोस्ट ऑफिस की तरह सुचारु रूप से चालु है | यहाँ से आज भी अन्य पोस्ट ऑफिस की तरह मेल , मनी ऑर्डर्स आदि आते है और भेजे जाते है | ये पोस्ट ऑफिस दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ पोस्ट ऑफिस है |


दो शताब्दियों से भी ज्यादा पुराण यह डाक घर अंग्रेज़ों के जमाने में बनाया गया है लेकिन मज़े की बात यह है की लोगो के बिच आज भी इस डाकघर की चमक बरकरार है |


यह डाकघर चिट्ठियों को अनोखे तरीके से पहुंचने के लिए भी मशहूर है | यहाँ का डाकिया लोगों को शिकारे के द्वारा ही उनके घरो तक चिट्ठी पहुँचता है | इस डाकघर में सभी सेवाएं मौजूद है जो किसी भी अन्य डाकघरों में मौजूद होती है जबकि इसके पहचान के लिए सभी चिट्ठियों के लिफाफे पर एक विशेष प्रकार का मुहर लगाया जाता है जिसमें शिकारे और उसके नाव चालक वाली तस्वीर लगी होती है | हाउसबोट के मालिक नूर मोहम्मद का कहना है की तैरते हुए इस डाकघर में पुरानी चिट्ठियों का एक कलेक्शन भी
है | इस डाकघर से जुड़ा एक म्यूजियम भी था जो साल 2014 के आए बाढ़ में काफी ज्यादा तरीके से छतिग्रष्त हो गया | यहाँ काम करने वाले भारतीय डाक के कर्मचारी फारुख अहमद कहते है की दो सौ साल पुराने इस डाकघर को नेहरू पार्क पोस्ट ऑफिस के नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में इसका नाम बदल कर फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस रख दिया गया | यह पोस्ट एक बिलकुल ही अलग तैरता हुआ पोस्ट ऑफिस है | वो कहते है की जो भी पर्यटक शालीमार, निशात बाग़ या गुलमर्ग जाते है, वो इस डाकघर को देखने ज़रूर आते है | यहाँ का एक स्पेशल स्टाम्प है जो दुनिया में कही नहीं मिलता है | सुरक्षाबल भी इस डाकघर का इस्तेमाल करते है | जब भी कोई त्यौहार होता है तो सुरक्षाबल भी यहाँ से पोस्टकार्ड बुक करते है | इस डाकघर की एक और खासियत ये भी है की यहाँ कभी कभी डाक भेजने वालों का लंबा लाइन लग जाता है | वो लोग यहाँ से डाक भेजते है जिसकी खासियत है की उस डाक के साथ भेजने वाले की तस्वीर भी लिफाफे पर लगी होती है |


आज के ज़माने में इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने चिट्ठी लिखने और भेजने की प्रक्रिया को काफी प्रभावित किया है | लेकिन वह आस पास के स्थानीय लोगों का कहना है की वे घाटी में आज भी इंटरनेट और सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल कम कर चिट्ठी भेजने और लिखने की प्रक्रिया को बढ़ावा देते है | उनका कहना है की चिट्ठी लिखने और भेजने में चिट्ठी के साथ उनकी भावनाएँ जुड़ी होती है |


Roushan Kumar
BJMC- II SEM
HIMCOM  

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