धनतेरस: समृद्धि का पर्व
धनतेरस का महत्व,
"स्वास्थ्य की कामना" भगवान धनवंतरि, जो आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं, का जन्म इसी दिन हुआ था। इसलिए, इस दिन उनके आशीर्वाद से लोग अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना करते हैं। और "यम पूजा" इस दिन यम दीप जलाने की परंपरा है। घर के बाहर दीप जलाकर यमराज से परिवार की लंबी आयु और विपत्तियों से रक्षा की प्रार्थना की जाती है और साथ ही साथ "कारोबार का शुभारंभ" व्यापारी वर्ग के लिए भी यह दिन खास होता है। वे नए खातों का शुभारंभ करते हैं और इसे व्यवसाय में उन्नति का प्रतीक मानते हैं।
धनतेरस मनाने की परंपरा के पीछे धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं हैं, जो हिंदू धर्म के विभिन्न ग्रंथों और कथाओं से जुड़ी हैं। इस त्योहार की उत्पत्ति के संबंध में दो प्रमुख कथाएं प्रचलित हैं:
1, समुद्र मंथन की कथा,
धनतेरस का सबसे प्रसिद्ध संदर्भ समुद्र मंथन से जुड़ा है। जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तो मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। भगवान धनवंतरि को आयुर्वेद और स्वास्थ्य का देवता माना जाता है। उनके प्रकट होने के दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि उनके साथ धन, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद जुड़ा हुआ है।
2, राजा हिमा की कथा,
एक और प्रचलित कथा के अनुसार, राजा हिमा के पुत्र की कुंडली में भविष्यवाणी की गई थी कि उसकी शादी के चौथे दिन उसे सांप डस लेगा और उसकी मृत्यु हो जाएगी। उसकी पत्नी ने इस अनिष्ट को रोकने के लिए चौथे दिन ढेर सारे गहने और सोने-चांदी के बर्तन दरवाजे पर इकट्ठा कर दिए और घर में दीप जलाए। जब यमराज सांप के रूप में आए, तो वे चमक से मोहित हो गए और अंदर प्रवेश नहीं कर सके। इस प्रकार, राजा का पुत्र बच गया। इस घटना की याद में धनतेरस पर दीप जलाने और सोने-चांदी की वस्तुएं खरीदने की परंपरा शुरू हुई।
धनतेरस का त्योहार, धन और समृद्धि की प्राप्ति के साथ-साथ स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन की कामना का प्रतीक है। इन पौराणिक कथाओं के आधार पर, धनतेरस को समृद्धि, स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन की खरीदारी और पूजा-आराधना से परिवार में सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है.
Comments
Post a Comment