चैत्र नवरात्रि प्रथम तिथि

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः




चैत्र नवरात्रि आरंभ हो चुके हैं । प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि पर नवरात्रि की कलश स्थापना होती है। साथ ही नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा उपासना की जाती है ।

 मां दुर्गा अपने पहले स्वरुप में शैलपुत्री के नाम से पूजी जाती हैं। वह पर्वतराज हिमालय की पुत्री थी, इसलिए  इनका नाम शैलपुत्री पड़ा।  "हिमालय को कोई हिला नहीं सकता "उसी तरह ,जब हम भक्ति का रास्ता चुनते हैं तो हमारे मन में भी भगवान के लिए द्रिढ़ विश्वास होना चाहिए, तभी हम अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। यही कारण है कि नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
माँ शैलपुत्री का नाम पार्वती भी है। इनका विवाह भगवान शिव से हुआ था।

मां शैलपुत्री का वास उत्तर प्रदेश की काशी नगरी में माना जाता है। वहां शैलपुत्री का एक बेहद प्राचीन मंदिर है  जिसे नवरात्र के सभी नौ दिन दुल्हन की तरह सजाया जाता है।



कहा जाता है कि माता शैलपुत्री यहाँ स्वयं विराजमान हैं। उस मंदिर के सेवादार पंडित अच्छेलाल गोस्वामी जी  ने बताया कि माँ शैलपुत्री बचपन से ही भगवान शिव के प्रति बहुत आस्था रखती थी । इसके बाद जब माता बड़ी हुई तो वह भ्रमण पर निकल गयी। मन में शिव के प्रति आस्था थी इसलिए वह उनकी नगरी काशी पहुंच गई। यहां पर वरुणा नदी के किनारे माँ  ने तप शुरू किया और उसी स्थान पर साक्षात हमेशा के लिए विराजमान हो गई । 
दुनिया में अन्य कहीं पर ऐसा मंदिर नहीं होगा जहाँ कोई भी देवी  खुद विराजमान हों।  

इन दिनों माता शैलपुत्री के मंदिर में हज़ारों भक्त उनके दर्शन करने आते हैं । मान्यता यह भी है कि यहाँ  पर दर्शन करने वाले हर वैवाहिक जोड़े को अच्छे भाग्य और सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता है।  मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ यानी बैल है । देवी के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है।   वह सती के नाम से भी जानी जाती हैं। 



शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं। मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना करने से चंद्र दोष से मुक्ति भी मिलती है। 
मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं प्रिय हैं।  इसलिए उन्हे भोग में  सफेद मिष्ठान और घी अर्पित किया जाता । मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने और ये भोग लगाने से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
जय माता दी II

प्रज्ञा मिश्रा 
BAJMC2

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