ये किसी दूर ग्रह की कहानी है।
राजा रानी, बाग में बैठे थे। सुबह थी, चिड़िया चहचहा रही थीं, मोर आसपास विचरण कर रहे थे। राजा साहब चाय पी रहे थे। रानी ने अखबार खोला। देखा... संसद की खबरें थी, हेडलाइन छपी थी कि "संस्पेंडेड दल ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है"। दरअसल, हुआ यूं कि हफ्ते भर से अजीब तमाशा चल रहा था। कोई सांसद मुंह खोले, उसके पहले ही संस्पेंड कर दिया जाता। हाल ही में अपने प्रिय मसखरे को राजा ने सभापति बनाया था, जिसे अब इज़्ज़त की लत लग गई थी। ●● पद है !! कुर्सी है !! पर इज़्ज़त नही है... उसे ये बात बहुत खलती थी, लेकिन सांसद उसकी नकल उतारते, ट्विटर पर ट्रोल करते और सभापति के अहम को चोट भी पहुंचाते। ठीक है...कि वह आजीवन मसखरा ही था पर यह बात कहने की तो नही होती न, मज़ाक उड़ाने की भी नही होती है। सांसदों को उसकी नहीं तो उसके पद की ही... कम से कम महंगे कपड़ो और जूतों की इज़्ज़त करनी चाहिए। तो उसका अपमान, राजा का अपमान था, राज्य का, राष्ट्र का अपमान भी था। तो अपमान करने वालो को सस्पेंड करने की राजा से खुली छूट मिल गई। इसके बाद तो सभापति ने कहर ही बरपा दिया। तो अखबार में खबर यह छपी थी कि सभापति