Geeta Jayanti: ज्ञान का अमृत




भारतीय साहित्य और धर्म की अमृतधारा में गीता एक अद्वितीय ग्रंथ है जो महाभारत के भीष्म पर्व के अंतर्गत स्थित है। इस ग्रंथ का जन्मोत्सव "गीता जयंती" के रूप में मनाया जाता है जो सर्वप्रथम मार्गशिर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ता है।


गीता जयंती का महत्व



गीता जयंती एक विशेष त्योहार है जो भारतीय समाज में गीता के अद्वितीय महत्व की महत्वपूर्ण घड़ी को याद करता है। यह त्योहार उस समय को स्मरण करता है जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत के कुरुक्षेत्र में अर्जुन को अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया था। गीता जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को सिखाती है जो सही दिशा में चलने का मार्ग प्रदान करते हैं।


गीता का संदेश



गीता में जो उपदेश हैं, वे अत्यंत महत्वपूर्ण और सार्थक हैं। यहाँ कुछ मुख्य सिद्धांत हैं जो गीता जीवन को दिशा देने में मदद करती है:


1. कर्मयोग: गीता में कहा गया है कि कर्म करना एक व्यक्ति का कर्तव्य है, परंतु उसके फल में आसक्ति नहीं होनी चाहिए। एक व्यक्ति को अपने कर्मों में निष्ठा रखनी चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।


2. भक्तियोग: गीता में भक्तियोग का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें भगवान की उपासना और प्रेम का मार्ग बताया गया है।


3. ज्ञानयोग: गीता में ज्ञानयोग के माध्यम से आत्मज्ञान की महत्वपूर्णता बताई गई है। यह बताता है कि सच्चा ज्ञान केवल शास्त्रों के अध्ययन से ही नहीं, बल्कि अपने अंतर में आत्मचिंतन और साधना से ही प्राप्त हो सकता है।


गीता का समर्थन


गीता ने अनगिनत लोगों को अपने जीवन के मार्ग में मार्गदर्शन किया है। इसका संदेश समय के साथ बदलते हुए समाज में भी अद्वितीयता और तात्पर्य से समझा जाता है।



इस गीता जयंती पर, हम सभी को गीता के अद्वितीय सिद्धांतों को अपने जीवन में अमल करने का संकल्प लेना चाहिए ताकि हम अध्यात्म


Khushi Agarwal

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