कार्तिक मास

                                                                                 कार्तिक मास 



भगवान विष्णु को समर्पित महीना 



कार्तिक मास हिन्दू पंचांग के अनुसार हिन्दी कैलेंडर के अष्टम मास को सूचित करता है और यह साल के अक्टूबर और नवम्बर के बीच आता है। इस मास का आगमन विभिन्न त्योहारों, पूजाओं, और धार्मिक गतिविधियों के साथ मनाया जाता है और इसका महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक होता है।


कार्तिक मास का महत्व:


1. दीपावली (दीवाली):



कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली के रूप में मनाने का पर्व होता है। यह पर्व पूरे भारत में उत्सव के रूप में मनाया जाता है, और लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं। दीपावली का महत्व हिन्दू धर्म में भगवान राम के अयोध्या लौटने के रूप में माना जाता है।


2. धार्मिक पूजाएं:

कार्तिक मास में विशेष प्रकार की पूजाएं और व्रत बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। इस मास में विष्णु भगवान को समर्पित होता है और भगवान शिव की पूजा भी इस मास में अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।



3. परंपरा और विरासत:

कार्तिक मास के त्योहार और परंपराएँ हिन्दू संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं। इस मास में ज्यादातर लोग व्रत और पूजा का पालन करते हैं और परंपरागत तरीके से इन कार्यक्रमों को मनाते हैं।



4. प्राकृतिक सौंदर्य: कार्तिक मास का मौसम भारत में मितिहास की धरोहर के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य की अद्वितीयता को भी दर्शाता है। कार्तिक मास में जब मौसम ठंडा होता है और प्रकृति की सुंदरता अपने चरम पर होती है, तो इसे अपनाकर हम सब धार्मिक कार्यों का आनंद लेने का प्रयास कर सकते हैं। कार्तिक मास में व्रत, पूजा, ध्यान, सेवा, संत संगति, प्रार्थना करने से हमारा मन शुद्ध होता है और हमें आत्मिक शांति मिलती है।


इसलिए, कार्तिक मास महीने को हमें धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में समय बिताना चाहिए और इस महीने के व्रत, पूजा, जप, आरती, सेवा का अवसर इस्तेमाल करके हमें आत्मिक उन्नति और सुख-शांति प्राप्त करनी चाहिए।


खुशी अग्रवाल

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