देव दीपावली: दिव्यता का उत्सव
देव दीपावली: दिव्यता का उत्सव
भारतीय सांस्कृतिक कलेंडर में कार्तिक मास की पूर्णिमा को 'देव दीपावली' कहा जाता है। यह एक शानदार त्योहार है जो वाराणसी, उत्तर प्रदेश, में मनाया जाता है । इस अद्वितीय उत्सव का मुख्य उद्देश्य देवताओं का स्वागत करना है और इसे 'देव दीपावली' कहने का कारण है।
इस पवित्र दिन पर, वाराणसी के घाटों पर लाखों दीपकों की रौशनी से सुसज्जित किया है। गंगा नदी के किनारे लगे घाटों पर लोग दीपों की माला बनाते हैं और उन्हें गंगा का आरातीक्रमण करते हैं। इसे देव दीपावली के पर्व के तौर पर बनाया गया है, जिसमें लोग अपनी पूजा और भक्ति का अर्पण करते हैं।
यह उत्सव वाराणसी को एक अद्वितीय सौंदर्य से सजाता है जब रात के समय दीपों की चमक से गंगा नदी का सारा क्षेत्र रौंगते खा जाता है। इसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयाम होते हैं, जो इसे एक अद्वितीय दिव्यता के रूप में उभारते हैं।
देव दीपावली का महत्व यह है कि इस दिन भगवान शिव की गंगा में स्नान की अवधि खत्म होती है, जिसे 'देव दीपावली' के नाम से भी जाना जाता है। इसे शिवरात्रि से लेकर तीन दिनों तक धूप, दीप, फल, फूल आदि से सजाया जाता है, जो अत्यंत दैवीय और पवित्र महौत्सव की भावना को दर्शाता है।
इस अद्वितीय पर्व में लोग अपनी भक्ति और आस्था का प्रदर्शन करते हैं, और इसे विशेष रूप से मनाने का सौभाग्य पाते हैं। दीपावली के बाद भी यह एक सुंदर माहौल में लिपटा रहता है, जो इसे भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बनाता है।
इस साल के देव दीपावली में, हम सभी को भगवान की कृपा और आशीर्वाद से भरपूर होने की कामना है। यह एक समृद्धि और सौभाग्य का त्योहार है, जिसमें हम सभी मिलकर भगवान की आराधना करते हैं और दीपों की रौशनी में जीवन को उजागर करते हैं।
खुशी अग्रवाल
Bjmc ।।।
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