Prominent anchor Ms Aasha Jha working in News 24 visited HIMCOM campus and gave basic Journalism tips to its students. Students were very delighted about meeting her. Influensive Personality was happy to see young India.
आज हम बात कर रहे है उन नकारात्मक ऊर्जाओं कि जिनका अस्तित्व दुनिया में मौजूद है । भूत जिसका अर्थ है बीता हुए कल ,जो चीज़े बीत जाती है वो सिर्फ यादे बनकर रह रहती है ।कभी - कभी बीती हुई चीज़े हमारे सामने इस प्रकार आती है कि वह हमें अंदर से और बाहर से भी डरा कर चली जाती है। कहते हैं कई बार हम आत्माओं को देख नहीं सकते पर हम उन्हें महसूस कर सकते हैं। दुनिया रहस्य से भरी है किसी एक का रहस्य पता लगाते लगाते हम किसी अन्य रहस्य पर पहुंच जाते हैं। जैसे समय रुक नहीं सकता वैसे ही दुनिया में कई अनेक ऐसी चमत्कारी चीजें हैं जिनकी गिनती नहीं है । जहां हम भगवान पर विश्वास करते है वहीं कहीं न कहीं हम शैतान जैसी बातों से रूबरू होते है । विज्ञान इतनी तरक्की कर चुका है लेकिन वह आज तक इन जादुई चीजों का पता नहीं लगा पाया है जहां विज्ञान कहता है उर्जा कभी खत्म नहीं हो सकती वह किसी ना किसी रूप में स्थिर हो जाती है। हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं अगर दुनिया में सकारात्मक ऊर्जा है तो नकारात्मक जरूर होगी। डर एक ऐसा शब्द है या फिर एक ऐसा एहसास है जो हमें काटने पर मजबूर कर देता है कभी-कभी हमें हैरत मे...
मंगलवार को देवशयनी एकादशी थी। आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक यानि 4 महीने श्री हरी विष्णु पाताल लोक में विश्राम करते है। अब सवाल उठता है की जब श्री विष्णु विश्राम करते है, तब पृथ्वी का भार कौन संभालता है। आज इस ब्लॉग से हम सभी तथ्य जानेंगे। क्या है देवशयनी एकादशी? आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकदशी कहते हैं। पद्मा पुराण के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानि देवशयनी एकादशी के दिन श्री हरी विष्णु विश्राम करने जाते है और देवउठनी एकादशी तक वही विश्राम करते है। विश्राम पर जाने के समय को देवशयनी और विश्राम पूर्ण होने पर जब वो जागते है उस दिन को देवउठनी एकादशी नामसे जाना जाता है। आखिर क्यों जाते हैं श्री हरि विष्णु पाताल लोक ? भागवत पुराण के 10वे खंड के 56वे अध्याय के उल्लेख के अनुसार एक बार श्री हरी विष्णु शंखचूड़ नामक असुर के साथ युद्ध लम्बे अंतराल तक चलता रहा। युद्ध में विजयी होने के बाद भगवान बहुत थक गए थे। देवताओ ने आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन प्रभु की पूजा करने के बाद उनसे विनती की कि अब वह कुछ समय विश्राम करे। देवताओं ...
We've all seen the image: a lone figure standing triumphantly on a mountain peak, gazing out at a breathtaking vista. It evokes a sense of accomplishment, of grueling effort rewarded with stunning beauty. But the caption "The man on top of the mountain didn't just fall there" reminds us – there's more to the story. The Climb, Not Just the Summit Reaching the peak is a metaphor for success in any aspect of life. It's easy to get caught up in the final achievement, the celebratory image. But the real journey lies in the climb itself – the countless steps taken, the moments of doubt overcome, the sheer perseverance required to keep going. The Challenges We Face The climb is rarely smooth. There are treacherous slopes, unexpected detours, and moments of sheer exhaustion. We face setbacks, failures, and internal battles that threaten to derail our progress. The man on the mountain didn't just avoid these hurdles; he overcame them. The Value of Each Step Every s...
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