लड़कियाँ हैं वो!

लड़कियाँ हैं वो!

ना जाने ये शब्द कह कह कर,

कितना नीचा दिखाया करते हैं ।

कभी बोझ, तो कभी पराया,

ना जाने कितना कुछ बताया करते हैं।

हर पल बस समाज का हवाला देकर झुकाया करते हैं।

कभी तो पूछो खुद से; तुम हो कौन हमे बताने वाले,

हमारी मर्यादाओ को जताने वाले।।

 

जन्म लेते ही लक्ष्मी कहकर उस माता - पिता को चढ़ाया करते हो

तो दूसरे ही पल पराए घर जाना है कहकर पराया करते हो।

पूर्ण रूप से अपनाने तो दो उन्हे,

नन्ही सी जान को ज़रा खुल कर मुस्कुराने तो दो।

 

पैदा होते ही तुम उसकी तकदीर बयान करते हो,

फिर उसके कपड़ों पर, तो उसके समय से आने - जाने से, तो किसी से ज्यादा बाते करने से, तो ऐसे चलने से,तो ऐसे बैठने से कहकर उसका चरित्र तय करते हो।।

 

ज़रा कभी सोचो तो तुम्हे ये हक दिया किसने।

 

माता - पिता की लाडली है वो; उनकी शान है वो;

उनके गर्व की पहेचान है वो।




 

घर में उसके जन्म होने पर माता - पिता दुखी नहीं होते ,

समझो इसे!

वो तो बस इस गंदगी से भरी दुनिया से कैसे बचना है,

 वे सोचकर अपने हृदय की कंपन को छुपाते है।

 

आज घर पर है कल बहार निकलेंगी ,

ना जाने  किन - किन के नजरो में खटकेगी।

हर पल इसका डर उस मासूम के जन्मदाता को सताता है,

आखिर में किसी पराए के साथ भेज खुद को इस चिंतन से मुक्त पाता है।

 

ना जाने उसके साथ गलत होने पर वो समाज कहाँ जाता है,

उसके चले जाने पर हाथ में मोमबत्ती ,दिया ले सामने आता है।

 

अब बस करो ना जताओ खुदका अधिकार उस पर,

जीने दो उसे" झुकना मत सिखाओ ,

अब खुद के लिए लड़ने दो उसे।

 

बनना है तो ना बन सहारा उसका ,

ना कर कमज़ोर उसे,

सही मार्गदर्शन कर बन सच्चा साथी उसका।

 

ना कह बदलने को उसे" बदल अपनी सोच ,बदल अपना ये खोखला समाज।।

 

बस कर अब कहना की सिर्फ लड़की है वो ,

अब बस जंजीर तोड़  उड़ने दो उसे।।..., 😌

 

 

शुभश्री नायक

1st Year (BJMC)


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