बसंत पंचमी का पावन दिन
वसंत पंचमी कहे या बसंत पंचमी, दोनों का ही मतलब एक समान है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी संसार के भ्रमण पर निकले हुए थे. उन्होंने जब सारा ब्रह्माण्ड देखे तो उन्हें सब मूक नजर आया यानी हर तरफ खामोशी छाई हुई थी. इसे देखने के बाद उन्हें लगा कि संसार की रचना में कुछ कमी रह गई है. इसके बाद ब्रह्माजी एक जगह पर ठहर गए और उन्होंने अपने कमंडल से थोड़ा सा जल निकालकर छिड़का. तो एक महान ज्योतिपुंज में से एक देवी प्रकट हुईं, जिनके हाथों में वीणा और चेहरे पर बहुत ज्यादा तेज था. यह देवी सरस्वती थीं, उन्होंने ब्रह्माजी को प्रणाम किया। मां सरस्वती के अवतरण दिवस के रूप में बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है.
मां सरस्वती की पूजा देवी और असुर दोनों ही करते हैं. इस दिन मानवजाति अपने घर, स्कूल, कॉलेज, कार्यस्थल पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं और उसने ज्ञान मांगते हैं. इसके अलावा मां को सिंदूर और श्रृंगार की बाकी वस्तुएं भी अर्पित की जाती है साथ ही मां के चरणों में गुलाल लगाकर उन्हें श्वेत रंग के वस्त्र भी अर्पित करते है.
इसके अलावा मनुष्य और जगत के प्रत्येक प्राणी की बुद्धि, विद्या और वाणी के रूप में देवी सरस्वती विराजमान हैं. उनके आशीर्वाद के बिना प्राणी अपने भावों और विचारों की अभिव्यक्ति न हीं दे सकता. मां सरस्वती को वाग्वादिनी, गायत्री, शारदा, कमला, हंसवाहिनी आदि नामों से जाना जाता है.
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