जानिए कौन था वह वह एकमात्र योद्धा जिसने महाबली हनुमान को युद्ध में हरा दिया ?
हनुमान जी से जुड़ी एक पौराणिक कथा Sachi kahani है जिसके बारे में काफी कम लोग जानते हैं। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार महाबली हनुमान को सबसे शक्तिशाली माना गया है। पुराने ग्रंथों में उल्लेख मिलता है की Hanuman Ji को उनके पूरे जीवन में सिर्फ एक ही योद्धा से हार मिली थी। यह कहानी हनुमान जी के हार की एकमात्र कहानी है।
Ramayana समाप्ति के बाद महाबली हनुमान श्री राम जी के साथ उनके सेवक बनकर रहते थे। लेकिन जब सीता माता धरती में समा गई और श्री राम जी का भी देहांत हो गया। उसके बाद हनुमान जी रामेश्वरम चले गए और वहीं पर रहने लगे। एक बार की बात है एक साधु जिनका नाम मछिंद्रनाथ था वह रामेश्वरम आए थे। वहां उन्होंने श्री राम और उनकी सेना द्वारा बनाया गया रामसेतु देखा जिसे देखकर वह बहुत प्रसन्न हुए और भगवान श्री राम का नाम लेते हुए समुद्र में स्नान करने लगते हैं। वहीं पास में हनुमान जी एक बूढ़े वानर का रूप लेकर बैठे थे। उन्होंने जैसे ही मछिंद्रनाथ जी को देखा तो वह समझ गए कि यह कोई आम साधु नहीं है बल्कि यह कोई सिद्ध योगी हैं। लेकिन फिर भी हनुमान जी मछिंद्रनाथ जी की शक्ति की परीक्षा लेने की सोचने लगे। उन्होंने अपनी शक्ति से बहुत तेज बारिश करवा दी लेकिन स्नान कर रहे मछिंद्रनाथ जी पर बारिश का कोई भी असर नहीं हुआ। जब योगी जी पर कोई भी असर नहीं हुआ तो महाबली हनुमान जिन्होंने एक बूढ़े वानर का रूप लिया हुआ था अपने पंजों से पहाड़ को खोदने लगे। जब मछिंद्रनाथ जी ने वानर को पहाड़ खोदते हुए देखा तो मछिंद्रनाथ जी ने बोला की वानर जब प्यास लगती है तब कुआं नहीं खोदा जाता है। तुम्हें बारिश से बचने का इंतजाम पहले ही कर लेना चाहिए था।
योगी कि यह बात सुनकर हनुमान जी उनसे जवाब में कहने लगे की हनुमान जी से बड़ा और शक्तिशाली योद्धा पूरे विश्व में नहीं है और यह बुरा बंदर भी कुछ समय तक हनुमान जी की सेवा में रह चुका है जिससे प्रसन्न होकर हनुमान जी ने अपनी कुछ शक्ति इस वानर को भी दे दिया था। और अगर आप शक्तिशाली हैं तो योगी जी आप मुझसे युद्ध कीजिए और मुझे हरा दीजिए। अगर मैं नहीं हारा तो आप खुद को योगी कहना छोड़ देंगे। योगी जी ने चुनौती स्वीकार कर ली। दोनों के बीच युद्ध शुरू हो गया। जैसे ही युद्ध शुरू हुआ हनुमान जी आसमान में उड़ने लगे और योगी जी पर बड़े-बड़े पत्थर और चट्टानों से फेंक कर हमला करने लगे। इतने बड़े चट्टानों को अपनी तरफ आता देख योगी जी मंत्रों की शक्ति का इस्तेमाल करने लगे और सभी पर्वतों को आकाश में ही रोक लेते। जैसे हनुमान जी ने यह सब देखा तो उन्हें क्रोध आ गया और क्रोध में हनुमान जी ने वहां पर स्थित सबसे बड़े पर्वत को उठाया और योगी जी की तरफ फेंकने लगे। योगी जी अपना बचाव करने लगे और उन्होंने एक मंत्र का प्रयोग किया और हनुमान जी की तरफ फेंक दिया। मंत्र की शक्ति के कारण हनुमान जी आकाश में ही स्थिर हो जाते और वह हिलने की शक्ति खो देते हैं। योगी जी के मंत्रों के कारण कुछ समय के लिए हनुमान जी की सारी शक्तियां विलुप्त हो जाती हैं। तो हनुमान जी उस पड़ी पर्वत का भार सहन नहीं कर पाते हैं और पीड़ा से तड़पने लगते हैं।
यह स्थिति देखकर हनुमान जी के पिता वायु देव काफी डर जाते हैं और जमीन पर आकर मछिंद्रनाथ जी से हनुमान जी को क्षमा करने की प्रार्थना करते हैं। वायु देव की यह विनती सुनकर योगी जी हनुमान जी को माफ कर देते हैं और उन्हें मुक्त कर देते हैं और इसके बाद हनुमान जी अपने असली स्वरूप में आ जाते हैं और हाथ जोड़कर योगी जी को प्रणाम करते हैं और कहते हैं की मैं जानता हूं कि आप नारायण के अवतार हैं। फिर भी मैंने आपकी शक्तियों की परीक्षा लेने का प्रयत्न किया है और यह एक बहुत बड़ा अपराध है। जिसके लिए मैं क्षमा मांगता हूं। यह सुनकर योगी जी हनुमान को क्षमा कर देते हैं। और इस तरह हनुमान जी और मछिंद्रनाथ जी के बीच युद्ध खत्म हो गया
Sahil saini
Bjmc ii
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