संसद सत्र( parliament session) क्या होता है?

भारतीय राजनीति और भारत का संविधान जिस संसद से होकर गुजरते हैं आज हम उसी संसद के कुछ अहम बिंदु पर बात करेंगे यह तो सभी जानते हैं सियासी दांवपेच से लेकर संविधान में संशोधन,भारत का लोकतंत्र भारत में रहने वाला प्रत्येक नागरिक कहीं ना कहीं किसी ना किसी तरह भारत की संसदीय व्यवस्था से जुड़ा है और उसमें किसी न किसी तरीके से अपना योगदान भी देता है। आज हम संसद क्या है संसद में क्या होता है संसद किस तरीके से काम करती है इसके बारे में जानकारी देंगे । शायद आपके भविष्य में आपके काम आए क्योंकि प्रत्येक नागरिक को जो भारत में रहता है उसे अपने देश के बारे में जानकारी रखना जरूरी है क्योंकि अगर आप जिस देश में रहते हैं उस देश के संविधान ,उस देश की नीति ,उस देश के कानून और कानून बनाने वाली संसद के बारे में नहीं जानते तो यह एक भारतीय होने पर प्रश्न चिन्ह लगाता है । प्रत्येक भारतीय को ज्यादा नहीं बेसिक नॉलेज तो होनी चाहिए।

भारत की संसदीय व्यवस्था को इंग्लैंड से लिया गया है यानी इंग्लैंड में चलने वाली प्रक्रिया को भारत की संसद में अपनाया जाता है।




संसद एक ऐसा स्थान है जहां पर सभी राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों को आमंत्रित करके संसद में बुलाया जाता है और वहां पर जनता की समस्याओं पर एक साथ बैठकर चर्चा की जाती है और उनका समाधान निकालने के लिए सुझाव और प्रस्ताव की मांग की जाती है जो सदस्य  संसद में बैठकर इन समस्याओं पर चर्चा करते हैं वह सभी जनप्रतिनिधि होते हैं यानी जनता द्वारा चुने गए सदस्य। जिन्हें जनता चुनकर संसद में भेजती है और यह प्रक्रिया जिस पूरे समय में की जाती है उसे संसद का सत्र कहा जाता है।
संसद के सदस्यों द्वारा जनता के तमाम मुद्दों पर बहस करने और नए प्रस्ताव पर मतदान करके अधिनियम में संशोधन करने के लिए जिस अवधि का निर्धारण किया जाता है उसे संसद का एक सत्र कहा जाता है।
और इस अवधि यानी समय में संसद की सभी प्रकार की कार्यवाही का संचालन होता है और प्रस्ताव पास करके राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता हैं।
सामान्यता 1 वित्त वर्ष में संसद के तीन सत्र का आयोजन होता है ।
प्रत्येक सत्र के बीच 6 महीने से अधिक का समय नहीं हो सकता है इसकी पुष्टि सविधान में पहले से ही की हुई है।
बजट सत्र (फरवरी से मई )
मानसून सत्र (जुलाई से सितंबर )
शीतकालीन सत्र अधिवेशन (नवंबर से दिसंबर)
राज्यसभा में बजट सत्र को दो भागो में बांटा गया है इन दोनों भागों के बीच 3 से 4 सप्ताह का अवकाश रहता है इस तरह राज्यसभा के 1 वर्ष में 4 सत्र होते हैं।

Shivani Pal
MJMC ii

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