माघ मास के नवरात्रि क्यों कहलाते हैं गुप्त

हिंदू धर्म के लगभग लोग आज भी साल में आने वाले चैत्र या वासंतिक नवरात्र तथा आश्विन या शारदीय नवरात्रों के बारे में ही जानते हैं। बहुत कम लोग हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रों के बारे में पता होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके अलावा साल में दो और नवरात्र पड़ते हैं जिस दौरान लोग अपनी विशेष प्रकार की कामनाओं की सिद्धि के लिए देवी मां के समस्त रूपों की आराधना करते हैं। दरअसल इन्हें गुुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जिस दौरान लगभग तमाम तांत्रिक साधु अपनी तांत्रिक शक्तियों को बढ़ाने के लिए देवी मां की पूजा-अर्चना करते हैं। मगर क्या आप में से कोई ये जानता है आख़िर इन्हें गुप्त नवरात्रि क्यों कहा जाता है।


               गुप्त नवरात्रि होते हैं वर्ष में दो बार
सबसे पहले ये जान लें कि हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला देवी दुर्गा का यह पर्व वर्ष में कुल चार बार आता है। यह चारों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं। अगर धार्मिक ग्रंथों की दृष्टि से देखें तो महाकाल संहिता और तमाम शाक्त ग्रंथों में इन चारों नवरात्रों का महत्व बताया गया है। इसमें विशेष तरह की इच्छा की पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा और अनुष्ठान संपन्न किया जाता है। तो वहीं गुप्त नवरात्रों को गुप्त कहे जाने का असल कारण यही है कि इस दौरान देवी मां की गुप्त रूप से पूजा की जाती है

              नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में अंतर

सामान्य नवरात्रि में आम तौर पर सात्विक पूजा की जाती है तो वहीं गुप्त नवरात्रि में सात्विक एवं तांत्रिक पूजा दोनों की जाती हैं। परंतु अधिकरत ध्यान तांत्रिक पूजा की ओर दिया जाता है।
               गुप्त नवरात्रि के दौरान करें ये उपाय 
एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर, मां की मूर्ति या प्रतिकृति की स्थापना करें। फिर मां के समक्ष एक बड़ा घी का एकमुखी दीपक जलाएं। तथा प्रातः और सायं दोनों समय मां के विशिष्ट मंत्र का 108 बार जप करें।

             नवरात्रि मंत्र
           "ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे"

Sahil saini
BJMC ii

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