आखिर क्या होगा अगर भारत चीन से नाता तोड़ दे? किसे होगा नुकसान तो किसे लाभ

आखिर क्या होगा अगर भारत चीन से नाता तोड़ दे? किसे होगा नुकसान तो किसे लाभ..

वर्तमान समय में जब चीन से हर राष्ट्र नाता तोड़ने की कोशिश कर रहा है, उस समय में आपने भी सोचा होगा आखिर क्या होगा अगर भारत चीन से नाता तोड़ दे? किसे होगा नुकसान तो किसे नफा ।

 और इस लिए सबसे पहले हमें भारत और चीन के हो रहे व्यापारिक रिश्ते को समझना होगा ।

 चीन से भारत का आयात

 मुख्यतः भारत, चीन से मोबाइल फोन, लैपटॉप, डेस्कटॉप, स्टेशनरी का सामान, बैटरी, बच्चों के खिलौने, फुटपाथ पर बिकने वाला सामान, गुब्बारे, चाकू और ब्लेड, कैल्कुलेटर, चिप्स का पैकेट बनाने वाली मशीन, छाता, रेन कोट, प्लास्टिक से बने सामान टीवी, फ्रिज, एसी आदि, उत्पाद, किचन में प्रयोग होने वाला सामान, मच्छर मारने वाला रैकेट, दूरबीन, मोबाइल एसेसरीज, हैवी ड्यूटी मशीनरी, केमिकल्स, लौह अयस्क व स्टील, खा , चश्मे का फ्रेम व लेंस, बाल्टी और मग फर्नीचर (सोफा, बेड, डाइनिंग टेबल), रक्षा क्षेत्र और बिज़ली का सामान आदि।

 भारत से चीन को निर्यात -

 कॉटन यानी कपास, कॉपर यानी तांबा, हीरा और अन्य प्राकृतिक रत्न, खाद्य पदार्थों में गैर बासमती चावल और दूध से उत्पादित उत्पादों का भारत चीन को निर्यात करता है।

 भारत और चीन के व्यापार की स्थिति -

 भारत और चीन के मध्य होने वाले व्यापार में भारत को सर्वथा व्यापार घाटा ही हुआ है, पिछले कुछ समय से हालांकि व्यापार घाटा कम जरूर हुआ है, किन्तु भारत इस स्थिति में नहीं पहुंचा कि व्यापार घाटा शून्य कर सके और ना ही आने वाले कई वर्षो में शून्य की उम्मीद की जा सकती है। क्योंकि चीन से व्यापार का भारत का व्यापार घाटा 56.77 अरब डॉलर रहा। यह 2018 में 58.04 अरब डॉलर था। यह मामूली गिरावट हैं जो इस बात का संकेत नहीं है कि भारत कुछ वर्षों में चीन से समान्तर व्यापार कर सकता है।



 व्यापार समाप्ति से किसे फायदा -

 चीन के साथ व्यापार खत्म होने से क्या फायदा क्या नुकसान हो सकता है इसे समझने के लिए हमें टिड्डी प्रकोप को समझना होगा ।

 हाल ही में, भारत के गुजरात और राजस्थान राज्यों में टिड्डी प्रकोप बढ़ा हुआ है, जिसका असल कारण चीन हैं। इसका चीन ऐसे जिम्मेदार हैं -

 जब पाकिस्तान में टिड्डी प्रजनन बढ़ा तो पाकिस्तान ने चीन से टिड्डी खत्म करने का पेस्टीसाइड खरीदा। चीन ने मौका पाकर एक्सपायर पेस्टीसाइड पाकिस्तान को दे दिया। जिसके कारण पाकिस्तान में पेस्टीसाइड छिड़काव से टिड्डी मरने की जगह टिड्डी प्रकोप बढ़ता गया और टिड्डी पाकिस्तान के रेगिस्तान से कई शहरों में भी पहुंच गई। टिड्डी की बढ़ती मात्र हवा के रुख के साथ पाकिस्तान से भारत तक पहुंच गई जिससे काबू में करना मुश्किल हो रहा है, भारत में टिड्डी को खत्म करने पर भी पाक से नित नए टिड्डी दल पहुंच जाते हैं। अब आप समझ गए होंगे चीन ने पाकिस्तान को अच्छे पेस्टीसाइड दिए होते तो टिड्डी दल पर सीमित क्षेत्र में नियंत्रण आसान हो सकता था, लेकिन चीन की मानवता और साम्यवादी सोच ने सब कुछ बिगाड़ दिया, जिसके कारण विस्तृत क्षेत्र में इस पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है।


 ऐसे में किसे घाटा -

 बेशक व्यापार समाप्त होने से भारत को ही फायदा होगा और चीन को घाटा ही होने वाला है, हमे कुछ यूं लाभ प्राप्त होंगे -

 बाजार से घटिया माल समाप्त हो जाएगा।

 भारत का व्यापार घाटा कम होगा।

 शहरों में रद्दी के ढेर में कमी होगी।

 सरकार नहीं कर सकती व्यापार समाप्त -

 भारत को कितना भी फायदा होने के बावजूद भी भारत सरकार इसे समाप्त नहीं कर सकती है, उसका कारण है चीन से कच्चे माल का आयात होना। कई जेनेरिक दवाओं का करीब 80 से 90 फीसद कच्चा माल चीन से आयात होता है ऐसे में कंपनियां एपीआइ प्रोडेक्शन के लिए चीन पर निर्भर है।

  इसके अतिरिक्त भी कई प्रकार के कच्चे माल को चीन से आयातित कर भारत में उच्च कोटि का माल बनाया जाता है।
 अगर भारत सरकार इस नकली और घटिया माल के आयात को समाप्त करने के लिए कदम उठाए तो चीन कच्चे माल की आपूर्ति समाप्त कर सकता है ऐसे में भारत सरकार की बजाय लोगों को चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए।

 निष्कर्ष -
अंत में, इतना ही कहा जा सकता है नकली माल का भारतीय बाजारों में नहीं बिकने से चीन को नुकसान होगा, उसकी साम्यवादी मानव विरोधी सोच पर विपरीत प्रभाव होगा जिसका लाभ ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व को होगा और भविष्य में चीन के किसी कोने में बनी प्रयोगशालाओं में वामपंथी वायरस बनाए जाने की क्षमता में भी कमी होगी। चीन खुद को महान साबित करने के प्रयास में सबसे पीछे खड़ा नजर आएगा।

Divyansh yadav
PGD ii

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