फेमिनिज्म के नाम पर मनमानी कब तक

नमस्कार आज मैं उन महिलाओं को चेतावनी देना चाहता हूं जो फेमिनिज्म यानी नारीवाद का दिखावटी झंडा लिए पुरुषों के हक को छिनती रही हैं...


दरअसल उन्हें सबसे पहले फेमिनिज्म यानी नारीवाद को समझना होगा.

दरअसल आजकल की महिलाएं और लड़कियां बोलने के अधिकार यानी फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को ही फेमिनिज्म समझने लगी हैं.

फेमिनिज्म समानता की बात करता है,नौकरी में, तनख्वाह में, प्रॉपर्टी में और एजुकेशन यानी शिक्षा में भी..

दरअसल फेमिनिज्म महिलाओं के हक की बात करता है, महिलाएं कैसे मजबुर नहीं मजबूत होने की बात करता है.

पर इस समय की कुछ महिलाएं कुछ ज्यादा ही मजबूत हो चुकी है और पुरुषों पर बलात्कार की धमकी देकर मनचाहा काम निकालने जैसे घृणित कार्य भी करने लगी हैं।

ऐसी महिलाओं पर धिक्कार होने के साथ ही बहुत ज्यादा गुस्सा भी आता है,






सभी महिलाओं को समझना ही होगा कि आखिर फेमिनिज्म के दुरुपयोग से कुछ नहीं मिलेगा.

यहां तक कि सभी महिलाएं मजाक का पात्र बन रही हैं.

दरअसल फेमिनिज्म पुरुषों को कभी दुश्मन नहीं मानता,यह एक विचारधारा है जो समाज की कमजोर महिलाओं के हक की बात करता है.

आज के समय में अनेक महिला संगठनों ने ऐसे कई महत्वपूर्ण कार्य किए है,जैसे हाजी अली की दरगाह में महिलाओं का प्रवेश से लेकर तीन तलाक के विरोध तक.

यहां महिलाओं ने अपने हक की बात की और इनकी बातों को सरकार ने भी माना.

लेकिन चंद महिलाएं फटाफट पब्लिसिटी पाने के लिए पुरुषों पर बेवजह दोष मढ़ देती है.

दरअसल इनकी नाराजगी अपने पति और बॉयफ्रेंड से होती है और ये फेसबुक पर सभी पुरुषों को भद्दी भद्दी गालियां देना शुरू कर देती है और कहती है यही फेमिनिज्म है..

छोटे कपडे पहनना फेमिनिज्म नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और फेमिनिज्म किसी को नीचा दिखाना नहीं सिखाता ये हमें समझना ही होगा

1837 में जब फ्रांसीसी विद्वान चार्ल्स फ्युरियर ने फेमिनिज्म शब्द की खोज की तब उन्हें खुद ये अहसास नहीं हुआ होगा की आगे चलकर इसका उपयोग नहीं दुरुपयोग होगा..


बहनों आपको सिगरेट पीना है पियो, शराब पीकर खुले में नाचना है नाचो पर अपने हक और बराबरी की बात ना करके पुरुष मुर्दाबाद का नारा लगाना कहां तक सही है ।

Divyansh Yadav
PGD ii

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