जिस देश में दुश्मन के साथ दुश्मनी भी प्यार से निभाई जाती हो वहां स्त्रियों का ऐसा अपमान निंदनीय है।

जिस देश में दुश्मन के साथ दुश्मनी भी प्यार से निभाई जाती हो वहां स्त्रियों का ऐसा अपमान निंदनीय है।

दुनिया का सबसे खूबसूरत शब्द है "मां" जिसकी ममता और बलिदान के आगे देवी देवता भी सर झुकाते हैं इस संसार की संरचना भले ही भगवान ने की हो पर सृष्टि रचियता ने कितनी बार इसी मां की कोख से जन्म लेकर धरती पर लीलाएं रची है उसने भी इसकी शक्ति को नतमस्तक होकर नमन किया है। मां बनना एक औरत के लिए सौभाग्य की बात होती है जब एक मां बच्चे को जन्म देती है तो दुनिया की सारी खुशियां उस बच्चे के सामने फीकी पड़ जाती हैं।

हम बचपन में जो देखते हैं और सुनते हैं हमारे आस-पास जो आचार व्यवहार,बातों का माहौल चल रहा होता हैं उसका बचपन पर गहरा असर पड़ता है।हम जैसे-जैसे बड़े होते हैं हमारे आसपास खड़े अनुभवी पेडों तले विचार धाराएं बनती है नज़रिए बनते हैं और उसी पेड़ के तले ये फलते फूलते पनपते हैं।कुछ पेड़ पर्यावरण को शुद्ध करते हैं और उनके तले पनप रहे दूसरे पौधे आनंदित महसूस करते हैं पर उन्ही में कुछ पौधे समाज और देश के लिए जहर का काम करते हैं। उनकी बीमार सोच उनकी कट्टरपंथी  विचारधाराएं,उनके जहर से भी ज्यादा जहरीले शब्द इंसानियत पर से विश्वास उठाने का काम बखूबी से करते हैं।




एक बच्चे की परवरिश का उसके आज और आने वाले कल दोनों पर बहुत गहरा असर होता है और उसका प्रभाव केवल उस तक या उसके परिवार तक ही नहीं सीमित रहता बल्कि जैसे-जैसे वह बड़ा होता है और जिंदगी में आगे बढ़ता है उसके साथ बहुत से लोगों के भविष्य जुड़ने लगते हैं उसके द्वारा किया गया काम, उसके विचार,सोच कहीं ना कहीं देश हित या अहित में शामिल होते हैं।

मैंने अपनी बात मां शब्द से शुरू की है जिसका हम सबकी जिंदगी में क्या किरदार है हम सब बहुत अच्छे से जानते हैं । हम जिस देश में रहते हैं वहां औरतों को पूजा जाता है देवी के रूप में!
इसमें कोई दो राय नहीं है देवी के रूप में पूजी जाने वाली स्त्री समय-समय पर इसका दंड भी चुकाती रही है। हमारे देश में दुश्मन के साथ भी प्यार के साथ दुश्मनी निभाई जाती है उस देश में स्त्रियों के लिए ऐसे हालात और सोच निंदनीय है।

कुछ दिनों से सोशल प्लेटफॉर्म्स पर सफूरा जरगर नाम हेस्टैक ट्रेंड में चल रहा है आप लोगों ने भी शायद देखा होगा क्या सुना होगा और अगर नहीं सुना और देखा तो आपकी जानकारी के लिए सफूरा जरगर जामिया मिलिया इस्लामिया की पीएचडी स्कॉलर स्टूडेंट है जो फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है।सफूरा जरगर पर CAA एक्ट और नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में दिल्ली के जाफराबाद में हुए दंगों को भड़काने की साज़िश में एंटी टेरर एक्टिव यानी अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रीवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।एनआरसी और सीएए एक्ट पर हुए विरोध के समय सफूरा का नाम सामने आया था।जिसकी जांच के बाद 10 अप्रैल को दिल्ली पुलिस द्वारा उसको अरेस्ट किया गया और अब हाल फिलहाल सफूरा जरगर सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रही है।

"ट्रोल" एक छोटा सा शब्द है पर जब यह सोशल प्लेटफॉर्म्स पर अप्लाई किया जाता है तो दो पक्षों में बट जाता है।ट्रोलिंग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक चलन बन चुका है। पर सवाल यह है अभिव्यक्ति की आजादी जो हमें संविधान से मिली है उसकी क्या सीमाएं है। भारत एक ऐसा देश है जहां पर आम से खास हर इंसान को बोलने की आजादी दी गई है गलत पर आवाज़ उठाने की,सही के साथ खड़े होने की आजादी दी गई है। लेकिन हम लोग भूल जाते हैं कि हर चीज की एक मर्यादा होती है वरना यूं ही नहीं श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहां गया है।

हमारे देश के संविधान में कहां पर यह लिखा गया है यदि कोई महिला शादी से पहले गर्भवती होती है तो उसके बच्चे को नाजायज करार देने का अधिकार समाज के कुछ चुनिंदा लोगों को दिया जाता हैं।

हमारे संविधान में कहां यह लिखा गया है कि किसी भी महिला या स्त्री का चरित्र उसके पहनावे,उसके काम,उसके विचारों से आका जाएगा और इसकी जिम्मेदारी समाज के कुछ मानसिक रूप से बीमार चुनिंदा लोगों की जहरीली जुबान तय करेगी।

आखिर कौन है यह लोग जो स्त्री के चरित्र को बनाने में अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते है? किसी स्त्री के ऊपर अपने हिसाब से अभद्र टिप्पणी कर सकते हैं उसके चरित्र पर उंगली उठा सकते हैं उसके खिलाफ उस हद तक बोल सकते हैं जिसकी कोई हद ही न तय की जा सके।

यह केवल सफूरा जरगर की बात नहीं है सफूरा पर जो गंभीर आरोप हैं उसके लिए सजा भी होनी चाहिए। सफूूरा का विरोध करने का भी अधिकार है पर उस बच्चे को नाजायज कहना जिसकी अब तक इस दुनिया में आंखें तक नहीं खुली कहां तक ठीक है।

यह तो सिर्फ एक बात रखने का तरीका था शायद मैं अपनी बात आप तक पहुंचा पाई हूं पर एक मां और उसके होने वाले बच्चे के लिए जो अभद्र टिप्पणियां की जा रही हैं वो हमारी सोच की विकलांगता को दर्शाती है।

Shivani pal
Mjmc-ii

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