नवरात्रि में मां के नौ रूप
नवरात्रि एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की नौ दिन पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके पसंंदीदा भोजन का भोग लगाया जाता है।
नवरात्रि में मां के नौ रूप को लगते हैं
पहला दिन
नवरात्रि में नौ दिन तक माता के नौ अलग-अलग रूपों का पूजन किया जाता है। पहले दिन माता शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण माता के इस रूप का नाम शैलपुत्री पड़ा। मां शैलपुत्री को सफेद रंग बहुत पसंद है।
दूसरा दिन
मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।
तीसरा दिन
नवरात्र के तीसरे दिन मां चन्द्रघण्टा की पूजा की जाती है। इस दिन माता को दूध या दूध से बनी मिठाई, खीर का भोग लगाते हैं।
चौथा दिन
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की उपासना की जाती है। माता के इस रूप के पूजन से सुख, समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है। मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं और इसे ब्राह्मण को दान करें।
पांचवा दिन
नवरात्र में मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप में मां स्कन्दमाता की पूजा की जाती है।
छठवां दिन
मां दुर्गा का छठा स्वरूप कात्यायनी का है। नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी के उपासना से आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
सातवां दिन
नवरात्र में सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप का पूजन किया जाता है। माता का यह स्वरूप बहुत ही भयानक है।
आठवां दिन
मां दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी का है। नवरात्रि में आठवें दिन माता के इसी रूप का उपासना किया जाता है।
अन्तिम दिन
नवरात्रि के अन्तिम दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस दिन मां को तिल अर्पित करने से विशेष फल मिलता है।
Sahil Saini
BAMC-ii
नवरात्रि में मां के नौ रूप को लगते हैं
पहला दिन
नवरात्रि में नौ दिन तक माता के नौ अलग-अलग रूपों का पूजन किया जाता है। पहले दिन माता शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण माता के इस रूप का नाम शैलपुत्री पड़ा। मां शैलपुत्री को सफेद रंग बहुत पसंद है।
दूसरा दिन
मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।
तीसरा दिन
नवरात्र के तीसरे दिन मां चन्द्रघण्टा की पूजा की जाती है। इस दिन माता को दूध या दूध से बनी मिठाई, खीर का भोग लगाते हैं।
चौथा दिन
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की उपासना की जाती है। माता के इस रूप के पूजन से सुख, समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है। मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं और इसे ब्राह्मण को दान करें।
पांचवा दिन
नवरात्र में मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप में मां स्कन्दमाता की पूजा की जाती है।
छठवां दिन
मां दुर्गा का छठा स्वरूप कात्यायनी का है। नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी के उपासना से आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
सातवां दिन
नवरात्र में सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप का पूजन किया जाता है। माता का यह स्वरूप बहुत ही भयानक है।
आठवां दिन
मां दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी का है। नवरात्रि में आठवें दिन माता के इसी रूप का उपासना किया जाता है।
अन्तिम दिन
नवरात्रि के अन्तिम दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस दिन मां को तिल अर्पित करने से विशेष फल मिलता है।
Sahil Saini
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