"पुष्प नहीं बन सकते तो तुम, कांटे बनकर मत रहना"

बेलीहाजी से फैलाया करोना तो हो सकती है जेल जाने क्या है बीमारी फैलाने वाली आईपीएस की धारा 269 270

"पुष्प नहीं बन सकते तो तुम, कांटे बनकर मत रहना"
चीन से कोरोना वायरस फैलने से देश में 1171 लोगो को संक्रमित कर दिया है और 29 लोगों की जान ले ली हैं । कोरोना वायरस की रोकथाम व जड़ से खत्म करने के लिए 24 मार्च को देशव्यापी लॉक डाउन का ऐलान किया गया था लेकिन इसमें अभी तक कोई कमी नहीं  देखने को मिल रही है । सरकार, प्रशासन, पुलिस बुद्धिजीवी के साथ-साथ नागरिकों की भी एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वह समाज घर व देश में एक सकारात्मक वातावरण दे चूकि हमारे समाज में अभी भी एक ऐसा तबका मौजूद है जो इन अफवाहों भरी खबरों से प्रभावित होता है जाने अनजाने किसका हृदय कमजोर है यह जान पाना थोड़ा कठिन  होता है ऐसे में  इस बात  को ध्यान में रखकर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 , 269 और 270 के इस्तमाल से देश में लॉक डाउन लगाया गया हिमाचल प्रदेश के कांगरा की 63 वर्षीय महिला के खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा 270 के तहत तब मामला दर्ज किया गया जब प्रशासन को उसके दुबई से लौटने की खबर मिली। महिला ने अपनी ट्रेवल हिस्ट्री छुपाई थी और बाद में वह कोरोना से संक्रमित मिली। इसके अलावा कांगरा में ही एक 32 वर्षीय पुरुष के खिलाफ धारा 270 के तहत केस दर्ज किया गया।ये शख्स भी सिंगापुर से लौटा था और इसकी जानकारी नहीं दी थी।

आईपीसी की धारा 270 किसी शख्स के वायरस या इंफेक्शन के जरिए दूसरे व्यक्ति की जान को जोखिम में डालने पर लगाई जाती है। इसी तरह पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश पुलिस ने बॉलीवुड गायिका कनिका कपूर के खिलाफ आईपीसी की धारा 270 के तहत मामला दर्ज किया था। कनिका कपूर पर आईपीसी की धारा 269 और 188 भी लगाई गई थी। कनिका कपूर लखनऊ में तीन पार्टियों में शामिल हुई थी, उन पार्टी में एक राजनैतिक नेता भी मौजूद थे, जिन्हें बाद में कोरोना के लक्षण मिले।






इसके अलावा कई उदाहरण और भी हैं जहां आईपीसी की धारा 269 और 270 के तहत लोगों को हिरासत में लिया गया। कोरोना जैसी महामारी पर रोक लगाने के लिए किए गए क्वारंटीन का उल्लंघन करने पर भी कुछ लोगों पर आईपीसी की ये धाराएं लगाई गई।

क्या है आईपीसी की धारा 269 और 270?
 धारा 269 का अर्थ है, किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया लापरवाही भरा काम जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है।

धारा 270 का अर्थ है, किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या नुकसानदेह काम जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है।

ये दोनों धाराएं भारतीय दंड सहिता के अध्याय 14 के तहत आते हैं, जिसमें जनता के स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुख, शिष्टाचार और नैतिकता पर असर डालने वाले अपराध शामिल है।

आईपीसी की धारा 269 के तहत अपराधी को छह महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों मिलता है और धारा 270 के तहत दो साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों मिलता है। हालांकि दोनों धाराओं के सजा के प्रावधानों में ज्यादा अंतर नहीं है लेकिन धारा 270 में इस्तेमाल किया घातक या नुकसानदेह शब्द ये दर्शाता है कि आरोपी ने जानबूझकर कदम उठाया है।

पहले कभी इन धाराओं का इस्तेमाल हुआ?
साल 1886 में आईपीसी की इन धाराओं का इस्तेमाल किया गया था। तब मद्रास हाई कोर्ट ने एक शख्स को क्लोरा होने के बाबजूद ट्रेन से सफर करने के लिए धारा 269 के तहत दोषी करार किया था। इन धाराओं का इस्तेमाल चेचक और गिल्टी प्लेग के समय भी किया गया था।

Nikita Thagunna 
BAMC-ii 


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