कोरोना वायरस
तकरीबन 2 महीने पहले कोरोना एक विदेशी वायरस की तरह हम सभी भारतीयों को डरा रहा था,लेकिन अचानक इसने विदेशों में ही नहीं अपितु भारत में भी अपनी रफ़्तार दिखाई और कुछ ही समय में महामारी का रूप लेकर कई घरों के चश्मोचिराग को बुझा दिया।
अभी हाल ही में दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में एक कोरोना संदिग्ध ने 7 वीं मंजिल से कूद कर अपनी जान दे दी,ये वही सफदरगंज अस्पताल है जहां कुछ दिनों पहले रोहित दत्ता जो कोरोना पॉजिटिव थे,वो पूरी तरह सही होकर वहां से अपने घर आ चुके हैं, ऐसे कुछ लोग और भी हैं जिन्होंने अपने बुलंद हौसलों और डॉक्टरों की मदद से खुद को कोरोना से अलग कर लिया है ।
आपके मन में कई सवाल उपज रहें हैं,हम सब सवालों का जवाब भी देंगे साथ ही साथ ये भी बताएंगे की संक्रमित व्यक्ति कैसे इस लाइलाज वायरस से खुद को ठीक कर रहें हैं ?
० जयपुर की कोरोना बचाव कथा -
जयपुर का सवाई मानसिंह अस्पताल उस समय चर्चा में आया,जब वहां 3 मरीज मात्र 8 दिन में ही ठीक हो गए, इन मरीजों में एक इटली के रहने वाले पति पत्नी और एक जयपुर के एक पचासी वर्षीय बुजुर्ग थे दरअसल वहां के डॉक्टरों ने एक अनूठा प्रयोग किया उन्होंने एचआईवी की दवा मलेरिया की दवा और एंटीबायोटिक दवा के मिश्रण से एक नया दवा बनाया और लगातार मरीज को देते रहें और डॉक्टरों ने सफाई स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया ।
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने इन डॉक्टरों के सेवाभाव की जमकर तारीफ भी की ।
० दिल्ली में भी ऐसे हुआ बचाव -
"आइसोलेशन कोई कालकोठरी नहीं "
यह बात कोरोना से पूरी तरह ठीक हो चुके दिल्ली के रोहित दत्ता ने कही,दरअसल उन्होंने यह बात एक निजी चैनल को दिए गए अपने साक्षात्कार में कही,साथ ही साथ रोहित ने यह भी कहा कि लोगों में आइसोलेशन का एक डर घर कर गया है और लोग इसे कालकोठरी की तरह समझ रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है उन्होंने स्वच्छता और योग को उनके ठीक होने का राज बताया ।
० ठीक होने का श्रेय किसे -
आप सभी ने दोनों मामलों को अच्छे से पढ़ा, साथ ही साथ आपने एक बात गौर की क्या, कि दोनों मामलों में स्वच्छता और डॉक्टरों को ज्यादा श्रेय दिया गया हालांकि ऐसे वक्त में स्वच्छता हमेशा से अधिक सहयोगी रही है, साथ ही साथ इस लेख के माध्यम से हमें यह भी समझना होगा कि " स्वच्छता से ही कोरोना से इलाज संभव है."
Divyansh Yadav
MAMC-ii
अभी हाल ही में दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में एक कोरोना संदिग्ध ने 7 वीं मंजिल से कूद कर अपनी जान दे दी,ये वही सफदरगंज अस्पताल है जहां कुछ दिनों पहले रोहित दत्ता जो कोरोना पॉजिटिव थे,वो पूरी तरह सही होकर वहां से अपने घर आ चुके हैं, ऐसे कुछ लोग और भी हैं जिन्होंने अपने बुलंद हौसलों और डॉक्टरों की मदद से खुद को कोरोना से अलग कर लिया है ।
आपके मन में कई सवाल उपज रहें हैं,हम सब सवालों का जवाब भी देंगे साथ ही साथ ये भी बताएंगे की संक्रमित व्यक्ति कैसे इस लाइलाज वायरस से खुद को ठीक कर रहें हैं ?
० जयपुर की कोरोना बचाव कथा -
जयपुर का सवाई मानसिंह अस्पताल उस समय चर्चा में आया,जब वहां 3 मरीज मात्र 8 दिन में ही ठीक हो गए, इन मरीजों में एक इटली के रहने वाले पति पत्नी और एक जयपुर के एक पचासी वर्षीय बुजुर्ग थे दरअसल वहां के डॉक्टरों ने एक अनूठा प्रयोग किया उन्होंने एचआईवी की दवा मलेरिया की दवा और एंटीबायोटिक दवा के मिश्रण से एक नया दवा बनाया और लगातार मरीज को देते रहें और डॉक्टरों ने सफाई स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया ।
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने इन डॉक्टरों के सेवाभाव की जमकर तारीफ भी की ।
० दिल्ली में भी ऐसे हुआ बचाव -
"आइसोलेशन कोई कालकोठरी नहीं "
यह बात कोरोना से पूरी तरह ठीक हो चुके दिल्ली के रोहित दत्ता ने कही,दरअसल उन्होंने यह बात एक निजी चैनल को दिए गए अपने साक्षात्कार में कही,साथ ही साथ रोहित ने यह भी कहा कि लोगों में आइसोलेशन का एक डर घर कर गया है और लोग इसे कालकोठरी की तरह समझ रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है उन्होंने स्वच्छता और योग को उनके ठीक होने का राज बताया ।
० ठीक होने का श्रेय किसे -
आप सभी ने दोनों मामलों को अच्छे से पढ़ा, साथ ही साथ आपने एक बात गौर की क्या, कि दोनों मामलों में स्वच्छता और डॉक्टरों को ज्यादा श्रेय दिया गया हालांकि ऐसे वक्त में स्वच्छता हमेशा से अधिक सहयोगी रही है, साथ ही साथ इस लेख के माध्यम से हमें यह भी समझना होगा कि " स्वच्छता से ही कोरोना से इलाज संभव है."
Divyansh Yadav
MAMC-ii
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