बात अर्थव्यवस्था की
देश आज कठिनाई से गुजर रहा है.भारत की अर्थव्यवस्था डगमगा सी गई है, ऐसे में सरकार और लोगों के बीच में सवालों का सिलसिला शुरू हो गया है, आखिर देश के वजीरे आज़म देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर नजर का फेरेंगे? भारत के हालात इस समय निचले स्तर पर हैं, बेरोजगारी की सीमा बेहद दुखदाई है, भुखमरी भी इस कोरोना के वैश्विक जाल में दिन-ब-दिन फंसती जा रही है और लोगों को अपना शिकार बना रही है.
अर्थशास्त्री की मानें तो आने वाला समय भारत के लिए बहुत कठिनाई वाला समय हो सकता है क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था में जीडीपी का स्तर गिरने के साथ कई सारे स्रोतों पर असर पड़ने के आसार है. इस महामारी में रोजगार के स्रोत पर असर पड़ने के साथ-साथ उन मजदूरों पर भी पड़ रहा है, जिनका रोजी का जरिया भी बस उन्हीं स्रोतों से है. फैक्ट्रियां, दुकाने बंद है, ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी असर पड़ रहा है. ऐसे में मजदूरों पर बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है. देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अब सरकार को फैसला लेना ही होगा, क्योंकि यह बेहद नाज़ुक पल है, जहां इस कोरोना की महामारी को खत्म करने के साथ देश को उसे पुनः उसी स्तर पर लाना है. लोगों को सहानुभूति के साथ अपने कामों के साथ देश को पटरी पर लाना ही पहला लक्ष्य हो, ऐसा हर नागरिक को सोचना और अपनी सरकार का सहयोग करना प्रथम कर्तव्य होना चाहिए.
mubashshra
Bjmc-ii
अर्थशास्त्री की मानें तो आने वाला समय भारत के लिए बहुत कठिनाई वाला समय हो सकता है क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था में जीडीपी का स्तर गिरने के साथ कई सारे स्रोतों पर असर पड़ने के आसार है. इस महामारी में रोजगार के स्रोत पर असर पड़ने के साथ-साथ उन मजदूरों पर भी पड़ रहा है, जिनका रोजी का जरिया भी बस उन्हीं स्रोतों से है. फैक्ट्रियां, दुकाने बंद है, ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी असर पड़ रहा है. ऐसे में मजदूरों पर बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है. देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अब सरकार को फैसला लेना ही होगा, क्योंकि यह बेहद नाज़ुक पल है, जहां इस कोरोना की महामारी को खत्म करने के साथ देश को उसे पुनः उसी स्तर पर लाना है. लोगों को सहानुभूति के साथ अपने कामों के साथ देश को पटरी पर लाना ही पहला लक्ष्य हो, ऐसा हर नागरिक को सोचना और अपनी सरकार का सहयोग करना प्रथम कर्तव्य होना चाहिए.
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