भारत की मौजूदा स्थिती पर एक नजर
होली के बाद पूरे देश को इंतज़ार था 1 अप्रैल का या फिर कुछ इस तरह से कहिए की आर्थिक रूप से शुरू होने वाले नए साल का, पूरे देश को उम्मीद थी की इस वित्त वर्ष में सुस्त पड़ी अर्थ व्यवस्था में तेज़ी आएगी पर इसी के समान्तर देश में कोरोना वायरस भी दबे पांव आपने पैर पसार रहा था, लेकिन किसी को ये उम्मीद नहीं थीं की भारत में भी इसका असर एक प्रलय की तरह होगा। इसको रोकने के लिए सरकार ने कहीं एक व्यापक कदम उठाए बल्कि देश में लॉक डाउन भी कर दिया जिसका असर सबसे पहले आने वाले दिनों में अर्थ व्यवस्था पर पड़ेगा, लेकिन उम्मीद के मुकाबले इसका असर देश में नहीं और आज का दिन आते - आते हालत कुछ इस कदर हो गए की पूरे विश्व को अपने विध्वंस का शिकार बनाने वाली कोरोना वायरस की महामारी दिन प्रतिदिन और घातक होती जा रही है, जिसने समूची दुनिया और भारत के सामने एक चौतरफ़ा संकट लाकर खड़ा कर दिया है। फैक्ट्रिया बंद होने कारण मजदूर तफके के लोग अपने घरों की तरफ वापस आ गए है लोगों को अपनी नौकरियां भी संकट में गई और दिन पर दिन संक्रमित मरीजों की संख्या में भी इज़ाफ़ा हो रहा है, जिसको देख कर लॉक डाउन की मियाद को बढ़ाने की मांग और उठने लगी है और अगर ऐसा होता है तो ये देश लिए एक चिंता जनक परिस्थिति हमारे सामने लाकर खड़ी कर देगा। जब से लॉक डाउन देश में लागू हुआ है तब से न सिर्फ मजदूरों को नुख्सान हुआ है बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी असर डाला है।
जनता कर्फ्यू से 21 दिन के लॉकडाउन के निर्णय तक पहुंचने में देश ने जो तेजी दिखाई, उसकी तारीफ के साथ ही जानकार यह भी कह रहे हैं कि शुरुआती दौर में हुई खतरे को नजरंदाज करने वाले अति विश्वास की सजा के रूप में यह हालात बने हैं। हम चीन और उसके प्रांत वुहान तथा नेपाल समेत आस-पास के देशों पर फोकस करके बाकी सब ओर से बेखबर रहे। ईरान, इटली, ब्रिटेन, यूरोप के लोग देश में आते-जाते रहे। इसी तरह से मार्च के दूसरे सप्ताह तक इंटरनेशनल कमर्शियल फ्लाइट चलती रही। जिसने कोरोना वायरस को एक व्यापक स्टेज में लाकर खड़ा कर दिया है
और जिससे बाहर निकलने का कोई सरल रास्ता भी नज़र नहीं आ रहा, अगर लॉक डाउन को आगे बढ़ाया जाता है तो वो देश को किस मोड़ पर लाकर खड़ा करती है ये अपने आप में एक चिंता जनक प्रश्न है जिसका जवाब आने वाले समय ढूढ़ना एक चुनौती से कम नहीं है ?
Prajjwal Singh
Bjmc-ii
जनता कर्फ्यू से 21 दिन के लॉकडाउन के निर्णय तक पहुंचने में देश ने जो तेजी दिखाई, उसकी तारीफ के साथ ही जानकार यह भी कह रहे हैं कि शुरुआती दौर में हुई खतरे को नजरंदाज करने वाले अति विश्वास की सजा के रूप में यह हालात बने हैं। हम चीन और उसके प्रांत वुहान तथा नेपाल समेत आस-पास के देशों पर फोकस करके बाकी सब ओर से बेखबर रहे। ईरान, इटली, ब्रिटेन, यूरोप के लोग देश में आते-जाते रहे। इसी तरह से मार्च के दूसरे सप्ताह तक इंटरनेशनल कमर्शियल फ्लाइट चलती रही। जिसने कोरोना वायरस को एक व्यापक स्टेज में लाकर खड़ा कर दिया है
और जिससे बाहर निकलने का कोई सरल रास्ता भी नज़र नहीं आ रहा, अगर लॉक डाउन को आगे बढ़ाया जाता है तो वो देश को किस मोड़ पर लाकर खड़ा करती है ये अपने आप में एक चिंता जनक प्रश्न है जिसका जवाब आने वाले समय ढूढ़ना एक चुनौती से कम नहीं है ?
Prajjwal Singh
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