आखिर क्यों फ़ैल होता दिख रहा लॉक डाउन ?

पूरे विश्व को अपने विध्वंस का शिकार बनाने वाली कोरोना वायरस की महामारी दिन प्रतिदिन और घातक होती जा रही है, जिसने समूची दुनिया के सामने एक चौतरफ़ा संकट लाकर खड़ा कर दिया है देशों ने इससे निजात पाने लिए हर संभव कदम उठाए है, जिसमे कई देश इस महामारी से  लड़ने में सफल भी हुए।  भारत में भी इस महामारी को रोकने के लिए सरकार ने लॉक डाउन जैसे व्यापक कदम उठाए लेकिन धर्म और मनमानी के नाम पर चलने वाले  इस देश में  असफल होने के संकेत मिल रहे है, लॉक डाउन जिसकी मियाद अभी कुछ दिनों में पूरी होने वाली है और इसके पहले दौर में लगातार इसके विफल होने की खबरें भी आ रही है।  ऐसे में सवाल खड़ा होता है की केंद्र सरकार के सख्त निर्देश के बावजूद भी कोरोना को रोकने के लिए लिया गया ये फैसला असफल होता क्यों दिख रहा है, तो आज के इस लेख में चर्चा इसी बात की करते है की, आखिर क्यों फ़ैल होता दिख रहा लॉक डाउन ? इस सवाल का जवाब देने के लिए तर्क सहित हमारे पास कई उदहारण है जिनको आप टीवी चैनेलों में भी देख और सुन चुके होंगे, लेकिन देश को इस परिस्थिती में पहुंचाने के लिए मुख्यता  तीन मॉडलो का सबसे ज्यादा ज़िक्र हो रहा है और जिसमे सबसे पहले आता है मध्यप्रदेश का मुरैना मॉडल  मध्य प्रदेश के मुरैना में एक व्यक्ति ने दुबई से लौटकर अपनी मां की तेरहवीं में भोज खिलाया था,



जिसमें करीब 1500 लोग शामिल हुए. पहले उस व्यक्ति और उनकी पत्नी के कोरोना वायरस पॉज़िटिव होने की बात सामने आई. लेकिन पति-पत्नी ने न तो अपने आने और लोगों से मिलने के मामले में एहतियात बरती, न ही लक्षणों के बारे में डॉक्टर को बताया. नतीजा- इन पति-पत्नी के संपर्क में आए 23 रिश्तेदारों का टेस्ट किया गया और उनमें से 10 के सैंपल पॉज़िटिव आए. देखते-देखते मुरैना के करीब 26,000 लोगों को होम क्वारंटीन कर दिया गया. मुरैना से अब तक 13 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं.और लोगो के संक्रमित होने की सभावना भी बानी हुई है।
मुरैना के बाद अगला नंबर आता है केरल के कासरगोड का इस जिले में एक कोरोना संक्रमित शख्स खाड़ी देशों से वापस आया. यहां आकर क्वारंटीन रहने को कहा गया, लेकिन उन्होंने दो शादियां अटेंड कीं. एक शोकसभा में भी गए. विधायक समेत कई लोगों से मिले. ट्रेन-बस में यात्राएं कीं. इसके बाद से अब तक कासरगोड में 136 से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं. केरल में सबसे ज़्यादा केस इसी जिले से आए हैं. दूसरे नंबर पर कन्नूर है, जहां से 52 केस सामने आ चुके हैं.
 मुरैना और कासरगोड के बाद नंबर आता है निज़ामुद्दीन मॉडल, जिसके सामने आने से  कोरोना के संक्रामित मरीजों की संख्या में सबसे ज्यादा इज़ाफ़ा हुआ है आइए अब आप को विस्तार से बताते है की कैसे इस जमात ने  पूरे देश में मौत को बाटने का काम किया है। दिल्ली के निज़ामुद्दीन के मरकज़ में 13 से 15 मार्च तक तबलीग़ी जमात का कार्यक्रम हुआ था. करीब 20 हज़ार लोग जुटे. विदेशों से भी लोग आए. इस कार्यक्रम से काफी बड़े स्तर पर कोरोना वायरस का इंफेक्शन फैला. कार्यक्रम पूरा होने के बाद ज़्यादातर लोग अपने-अपने घर चले गए. कई लोग यहीं जुटे रहे. जो लोग यहां से गए, उन्होंने भी बाहर जाकर कोरोना की चेन बनाई. जो लोग यहां रुके, वो भी संक्रमित हुए. 30 मार्च तक भारत में कोरोना वायरस इंफेक्शन का जो कर्व कुछ कॉन्सटेंट होता दिख रहा था, उसमें जमात का मामला आने के बाद अचानक से तेजी आ गई.
तबलीग़ी जमात का केस सामने आने से पहले भारत में कोरोना के केस डबल होने में औसतन 7.4 दिन लग रहे थे. लेकिन तबलीग़ी के बाद औसतन 4.1 दिन में ही केस डबल होने लगे और आज का दिन आते - आते संक्रमित मरीजों की संख्या 5,734 तक पहुंच चुकी है और मरने वालो का आंकड़ा 166 तक, हालांकि राहत की बात ये भी है की इसमें 473 मरीज ऐसे भी है जो ठीक होकर अपने घर भी वापस जा चुके है।
अब आप खुद ही ये अंदाजा लगा सकते क्यों सरकार का ये फैसला विफल होता दिख रहा है ? लोगो की अपनी मनमानी ने पूरे देश को एक ऐसे संकट में डाल दिया है जहां से बाहर निकलने का कोई संभव रास्ता हाल फ़िलहाल में नज़र है।

 Kaushlendra Raj Shukla
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