प्लाज्मा थेरेपी से संभव है कोविड-19 का उपचार!
विश्व भर में करोना के इलाज को ढूंढने की होड़ लगी हुई है,हर देश अपने अथक प्रयास में जुड़ा हुआ है| ऐसे में भारत भी कहीं पीछे नहीं है,एक ओर जहां देश लॉकडाउन की स्थिति में स्थिर है,वहीं केरल कोरोना के उपचार का दावा कर रहा है और यह संभव हो पाया है केरल सरकार की ओर से गठित मेडिकल टास्क फोर्स द्वारा| वर्तमान में मौजूदा महामारी से छुटकारा पाने में प्लाज्मा थेरेपी सहायक साबित हो सकती है| प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल की सिफारिश ICMR से की गई थी, जिसकी मंजूरी मिल चुकी है,जिससे कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के इलाज का दावा किया जा रहा है|
आखिर यह इलाज है क्या?
अगर हम आम भाषा में समझे तो यह इस बात पर आधारित है कि ऐसे मरीज जो किसी संक्रमण से उभर जाते हैं,उनके शरीर में सैल उस संक्रमण के विरोध में प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित कर लेता है,जो कि उस संक्रमण से अगली बार शरीर को बचाने में सक्षम होता है| दरअसल यह एक बायोलॉजिकल प्रोसेस है| ठीक उसी तरह एंटीबॉडीज की मदद से कोविड-19 रोगी के खून से उपस्थित वायरस का खात्मा किया जा सकता है| टास्क फोर्स के सदस्य का यह भी कहना है कि किसी संक्रमित मरीज के शरीर से एंटीबॉडीज,रोगी के ठीक होने के 14 दिन बाद ही लिया जा सकता है और उस मरीज के कोविड-19 से ठीक होने के बावजूद दो बार और टेस्ट किया जाना चाहिए| परंतु उस ठीक हो चुके मरीज के शरीर से रक्त लेने से पहले उसकी शुद्धता की जांच भी की जाएगी|
आखिर प्लाज्मा थेरेपी की क्यों आजमाया गया?
इसके पीछे दो आधार पूर्ण वजह है| पहला यह कि अब तक कोविड-19 का कोई संभव इलाज उपलब्ध नहीं है और दूसरा यह कि संक्रमण से फैलने वाले रोगों के लिए प्लाजमा थेरेपी ही इस्तेमाल किया जाता है|
किसे जरूरत है प्लाज्मा थेरेपी की?
जो लोग बुखार कफ या सांस लेने की समस्या से परेशान है उन्हें यह प्लाज्मा देने की जरूरत नहीं है बल्कि जो मरीज अत्यधिक गंभीर हैं या जिसकी हालत खराब है,केवल उन मरीजों के लिए है यह थेरेपी।इसका असर 48 से 72 घंटों में सुधार के रूप में शुरू हो जाता है|
Nisha Kashyap
Bjmc-ii
आखिर यह इलाज है क्या?
अगर हम आम भाषा में समझे तो यह इस बात पर आधारित है कि ऐसे मरीज जो किसी संक्रमण से उभर जाते हैं,उनके शरीर में सैल उस संक्रमण के विरोध में प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित कर लेता है,जो कि उस संक्रमण से अगली बार शरीर को बचाने में सक्षम होता है| दरअसल यह एक बायोलॉजिकल प्रोसेस है| ठीक उसी तरह एंटीबॉडीज की मदद से कोविड-19 रोगी के खून से उपस्थित वायरस का खात्मा किया जा सकता है| टास्क फोर्स के सदस्य का यह भी कहना है कि किसी संक्रमित मरीज के शरीर से एंटीबॉडीज,रोगी के ठीक होने के 14 दिन बाद ही लिया जा सकता है और उस मरीज के कोविड-19 से ठीक होने के बावजूद दो बार और टेस्ट किया जाना चाहिए| परंतु उस ठीक हो चुके मरीज के शरीर से रक्त लेने से पहले उसकी शुद्धता की जांच भी की जाएगी|
आखिर प्लाज्मा थेरेपी की क्यों आजमाया गया?
इसके पीछे दो आधार पूर्ण वजह है| पहला यह कि अब तक कोविड-19 का कोई संभव इलाज उपलब्ध नहीं है और दूसरा यह कि संक्रमण से फैलने वाले रोगों के लिए प्लाजमा थेरेपी ही इस्तेमाल किया जाता है|
किसे जरूरत है प्लाज्मा थेरेपी की?
जो लोग बुखार कफ या सांस लेने की समस्या से परेशान है उन्हें यह प्लाज्मा देने की जरूरत नहीं है बल्कि जो मरीज अत्यधिक गंभीर हैं या जिसकी हालत खराब है,केवल उन मरीजों के लिए है यह थेरेपी।इसका असर 48 से 72 घंटों में सुधार के रूप में शुरू हो जाता है|
Nisha Kashyap
Bjmc-ii
बहुत अच्छा और सुंदर लेख 🙏👌
ReplyDeleteअगर केरल में ऐसा प्रयत्न किया जा रहा है तो हमारे देश के लिए बहुत ही अच्छी बात है यह फिर। अगर यह उपचार काम किया तो इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों की जल्द ही ठीक होने की संभावना होगी।
ReplyDeleteGood efforts by Kerala ... And we'll written Nisha
ReplyDelete